- जनता से मिलने को हो जाते थे आतुर, दरकिनार कर देते थे प्रोटोकॉल
- पंडित की कार्यशैली की राजनीतिक विरोधी भी करते थे तारीफ
गोण्डा। वर्ष 1996 के चुनाव में गांव की पगडंडियों से चलकर सदर विधानसभा से समाजवादी पार्टी के टिकट पर जीत हासिल करने वाले विशुद्ध गंवई नेता पंडित सिंह विराट व्यक्तित्व के धनी थे। वे इस मामले में भी सबसे जुदा थे कि विरोधियों को भी तपाक से गले लगा लेते थे। ठेठ अवधी भाषा उनकी लोकप्रियता की सबसे बड़ी वजह थी। विधायक रहे हों या मंत्री, उन्होंने जनता के आगे कभी भी प्रोटोकॉल को अहमियत नहीं दी। वह गर्व से कहते थे कि ‘जनता ही हमार माई-बाप है। इन्हीं की बदौलत हम इस काबिल बने हैं।’
पूर्व मंत्री विनोद कुमार सिंह उर्फ पंडित सिंह ने अपने स्वभाव के बलबूते जिले की राजनीति की जो पटकथा लिखी, उसे हमेशा याद रखा जाएगा। पंडित सिंह ने अपनी सीधी-सपाट अवधी बोली और हुंकार भरते तेवर से जनता के दिल को न सिर्फ जीता, बल्कि एकक्षत्र राज किया। यही वजह है कि उनके निधन के बाद आज तक जिले के कोने-कोने में गम और शोक के बादल छाए हुए हैं। राजनीतिक विरोधी भी उनको याद कर भावुक हो जाते हैं। पंडित सिंह ने ठेठ गंवई अंदाज को कभी नहीं छोड़ा। वर्ष 2004 में पहली बार चिकित्सा शिक्षा राज्य मंत्री बने, तो उन्होंने नारा दिया कि- ‘खाता न बही, जऊन पंडित सिंह कहैं वहय सही’…यह नारा इतना लोकप्रिय हुआ कि आज भी लोगों की जुबान पर है।
राजनीति में बड़े-बड़ों को टक्कर देना, पंडित सिंह का शौक था। पार्टी में भी उनकी अलग ही धाक थी। लोकसभा चुनाव में पार्टी ने गोण्डा से लड़ाया तो पंडित सिंह राजा आनंद सिंह के ही गढ़ में दहाड़े। इतना ही नहीं, उन्होंने राजा भैया को स्विच ऑफ सांसद कहकर जब ललकारा तो जिले की राजनीति में हंगामा खड़ा हो गया। लोग सहज ही विश्वास नहीं कर पा रहे थे कि पंडित सिंह राजा के गढ़ में ही उन्हें चुनौती देते हुए ललकार सकते हैं। पंडित सिंह जिले की राजनीति के चाणक्य माने जाते थे। उन्होंने विपरीत परिस्थितियों में भी कभी हार नहीं माना।
वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में सपा को करारी हार का सामना करना पड़ा। प्रदेश में योगी सरकार बनी। उस समय पूर्व मंत्री पंडित सिंह की बहू श्रद्धा सिंह जिला पंचायत अध्यक्ष थीं। इसके साथ ही उनके भाई नरेंद्र सिंह नवाबगंज के ब्लॉक प्रमुख, भतीजा वतन सिंह झंझरी ब्लॉक प्रमुख और भाई नरेंद्र सिंह की पत्नी बबिता सिंह पंडरी कृपाल की ब्लॉक प्रमुख थीं। सत्ता परिवर्तन होते ही पंडित सिंह ने जिला पंचायत अध्यक्ष के साथ ही तीनों ब्लाकों के प्रमुख पदों से इस्तीफा दिला दिया था। हालांकि उनका यह निर्णय चौंकाने वाला था। इस्तीफे के बाद लोग अवाक रह गए।
समाजवादी पार्टी के लोग ही नहीं, बल्कि सत्तापक्ष के लोग भी पंडित सिंह के इस कदम से हतप्रभ थे। हालांकि, मीडिया से बातचीत में पूर्व मंत्री पंडित सिंह ने कहा था कि – ‘जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लाक प्रमुखी, ये सब सत्तापक्ष का होता है। इन पदों पर काबिज रहकर मैं अपने लोगों का राजनीतिक उत्पीड़न नहीं करा सकता।’ कोरोना काल में वह इस महामारी की गिरफ्त में आ गए और 7 मई 2021 को उनका निधन हो गया। 7 जनवरी को उनकी जन्म जयंती है। इस अवसर पर श्रद्धांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया गया है जिसमें समाजवादी पार्टी के कई दिग्गज नेताओं के शामिल होने की संभावना है। वहीं कार्यक्रम में मशहूर लोक गायिका नेहा सिंह राठौर भी आ रही हैं।
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संपादक- ख़बर हिंदी