
नई दिल्ली | संवाददाता
देशभर में सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे लाखों युवाओं में इस समय भारी आक्रोश देखने को मिल रहा है। कर्मचारी चयन आयोग (SSC) द्वारा आयोजित सेलेक्शन पोस्ट फेज-13 भर्ती परीक्षा 2025 में तकनीकी और प्रशासनिक गड़बड़ियों के खिलाफ दिल्ली के जंतर-मंतर से लेकर लखनऊ, पटना, जयपुर और भोपाल तक छात्र सड़कों पर उतर आए हैं।
अभ्यर्थियों का आरोप है कि परीक्षा में भारी अनियमितता हुई है। कुछ छात्रों को 500 से 600 किलोमीटर दूर परीक्षा केंद्र दे दिए गए, जबकि कई जगहों पर एक ही प्रश्नपत्र बार-बार दोहराया गया, जिससे पेपर लीक और परीक्षा की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
परीक्षा केंद्रों की गड़बड़ी: अभ्यर्थियों को भेजा सैकड़ों किलोमीटर दूर
कई परीक्षार्थियों का कहना है कि उन्होंने परीक्षा केंद्र के लिए अपने निकटवर्ती शहर चुने थे, लेकिन उन्हें उत्तर प्रदेश से कर्नाटक, बिहार से गुजरात और राजस्थान से केरल जैसे दूरस्थ राज्यों में परीक्षा देने भेजा गया।
एक परीक्षार्थी का कहना था:
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“मैंने कानपुर को अपना केंद्र चुना था, लेकिन मेरा एडमिट कार्ड कर्नाटक का आया। जब वहां पहुंचा, तो कहा गया कि परीक्षा रद्द हो गई है। हमने क्या गलती की थी?”
इससे हजारों अभ्यर्थियों को ना सिर्फ आर्थिक नुकसान हुआ, बल्कि मानसिक तनाव और थकावट भी बढ़ी।
रोज वही प्रश्नपत्र? छात्रों ने उठाए गंभीर सवाल
प्रदर्शनकारी छात्रों का यह भी आरोप है कि हर दिन होने वाली परीक्षा में वही प्रश्न बार-बार पूछे गए। इससे परीक्षा की निष्पक्षता पर प्रश्नचिह्न लग गया है।
“हर दिन वही सवाल, वही ऑप्शंस – क्या यह पेपर लीक नहीं है?”
— यह सवाल लखनऊ में प्रदर्शन कर रहे एक छात्र ने मीडिया के सामने उठाया।
कई कोचिंग संस्थानों ने भी छात्रों के दावों की पुष्टि की है और इस पूरे मामले में SSC की भूमिका पर सवाल खड़े किए हैं।🏢 वेंडर बदला, समस्या बढ़ी?
परीक्षा संचालन की जिम्मेदारी पहले TCS (टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज) के पास थी, जो वर्षों से सरकारी परीक्षाओं का आयोजन करती आ रही है। लेकिन इस बार SSC ने टेंडर एक अन्य निजी कंपनी EdCIL या एडुक्विटी वेंडर को दे दिया।
दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष रौनक खत्री ने कहा कि:
“यह वही वेंडर है जिसे पहले ब्लैकलिस्ट किया गया था, लेकिन फिर भी SSC ने उसी को परीक्षा का जिम्मा दे दिया।”
छात्रों का यह भी कहना है कि परीक्षा के दौरान कंप्यूटर ठीक से काम नहीं कर रहे थे, कई जगह माउस खराब थे, और जब छात्रों ने आवाज उठाई तो बाउंसर बुलाकर डराने की कोशिश की गई।
शांतिपूर्ण प्रदर्शन पर पुलिस लाठीचार्ज, छात्रों में आक्रोश
जब अभ्यर्थियों ने जंतर-मंतर और CGO कॉम्प्लेक्स के बाहर शांतिपूर्वक प्रदर्शन किया, तो दिल्ली पुलिस ने उन पर लाठीचार्ज कर दिया। इससे छात्रों में भारी नाराजगी फैल गई।
पटना और लखनऊ में भी कई छात्रों को हिरासत में लिया गया।
NSUI अध्यक्ष वरुण चौधरी ने कहा:
“यह केवल परीक्षा में गड़बड़ी नहीं है, बल्कि युवाओं की आवाज को दबाने की कोशिश है। अगर सरकार ने जल्द कार्रवाई नहीं की, तो आंदोलन राष्ट्रीय स्तर पर फैल जाएगा।”
प्रदर्शनकारी छात्रों की मांगें
छात्रों ने स्पष्ट शब्दों में अपनी 5 प्रमुख मांगें रखी हैं:
- परीक्षा में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित की जाए।
- वेंडर की समीक्षा हो और जिम्मेदारी तय की जाए।
- रद्द की गई परीक्षाएं दोबारा कराई जाएं।
- पेपर लीक और तकनीकी गड़बड़ी के लिए दोषी कर्मचारियों पर कार्रवाई हो।
- पुलिस लाठीचार्ज की जांच कर दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई हो।
सोशल मीडिया बना विरोध का मंच, हैशटैग ट्रेंड में
इस पूरे प्रकरण ने सोशल मीडिया पर भी जोर पकड़ लिया है। #SSCSystemSudharo, #SSCMisManagement, और #SSCVendorFailure जैसे हैशटैग्स ट्विटर (अब X), इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर टॉप ट्रेंड्स में हैं।
हजारों छात्रों ने वीडियो बयान, पोस्ट, और लाइव स्ट्रीम के जरिए अपनी व्यथा साझा की है। कोचिंग संस्थानों और कई छात्र संगठनों ने भी प्रदर्शन को समर्थन दिया है।
SSC की चुप्पी, अभ्यर्थियों में चिंता
अब तक SSC की ओर से कोई ठोस जवाब या प्रेस रिलीज सामने नहीं आई है। आयोग की वेबसाइट और सोशल मीडिया पर भी सन्नाटा पसरा है।
इसी चुप्पी ने छात्रों की चिंता और रोष दोनों को और अधिक बढ़ा दिया है। उन्हें डर है कि कहीं यह मामला भी पहले की तरह दबा ना दिया जाए।
राजनीतिक दलों का मिला साथ, सरकार की अग्निपरीक्षा
कांग्रेस, NSUI, AAP छात्र संगठन CYSS सहित कई युवा इकाइयों ने इस मुद्दे को संसद और विधानसभा में उठाने की मांग की है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि केंद्र सरकार ने इस मुद्दे को हल्के में लिया, तो लोकसभा चुनाव 2029 में युवाओं का समर्थन प्रभावित हो सकता है। सरकारी नौकरी की तैयारी करने वाले युवा भारत की सबसे बड़ी वोटिंग जनसंख्या हैं।