
नई दिल्ली | ब्यूरो रिपोर्ट:
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने एक सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए एक बार फिर राजनीति के केंद्र में जगह बना ली है। दो तस्वीरें—एक में कांवड़ यात्रा के दौरान रोड जाम और दूसरी में सड़क पर नमाज अदा करते लोगों को दिखाते हुए—उन्होंने कैप्शन लिखा:
“एक देश, दो कानून?”
बस फिर क्या था, यह छोटा सा वाक्य पूरे राजनीतिक परिदृश्य में तूफान ले आया। जहां बीजेपी ने इसे ‘हिंदू विरोधी एजेंडा’ करार दिया, वहीं कांग्रेस ने इसे ‘संवैधानिक समानता’ से जोड़कर सही ठहराया।
बीजेपी का पलटवार: दिग्विजय सिंह को बताया ‘मौलाना’
एमपी सरकार में मंत्री विश्वास सारंग ने इस पोस्ट पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा:
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“दिग्विजय सिंह बार-बार सनातन धर्म और हिंदू परंपराओं का अपमान करते हैं। कभी भगवा आतंकवाद बोलते हैं, कभी सेना पर सवाल उठाते हैं, और अब कांवड़ यात्रा पर आपत्ति जताते हैं। क्या ये उनके इस्लामिक झुकाव का संकेत नहीं?”
सारंग ने उन्हें तंज कसते हुए “मौलाना दिग्विजय सिंह” तक कह डाला और माफी की मांग की।
कांग्रेस का बचाव: सवाल संविधान का है, धर्म का नहीं
इस बयान के बाद कांग्रेस नेता पीसी शर्मा दिग्विजय सिंह के समर्थन में उतरे। उन्होंने कहा:
“दिग्विजय सिंह का सवाल धर्म से नहीं, व्यवस्था से जुड़ा है। अगर सड़क पर नमाज से यातायात रुकता है, तो कांवड़ यात्रा भी उसी तरह का असर डालती है। सवाल है कि क्या प्रशासन दोनों के लिए समान मापदंड अपनाता है?”
उन्होंने इसे डॉ. भीमराव अंबेडकर के ‘समानता के सिद्धांत’ से जोड़ा और कहा कि सार्वजनिक आयोजनों में सबके लिए एक जैसा नियम लागू होना चाहिए।