दर्जनभर से अधिक गांवों में धधक रहीं भट्ठियां
पुलिस विभाग के आंकड़े खुद कर रहे तस्दीक
गोण्डा। जिले के मोतीगंंज थाना क्षेत्र के साथ ही कहोबा पुलिस चौकी इलाके के करीब दर्जनभर गांवों में अवैध कच्ची शराब का कारोबार इलाकाई पुलिस और आबकारी विभाग की साठगांठ से फल-फूल रहा है। इसकी तस्दीक खुद आए दिन अवैध शराब के साथ पुलिस व आबकारी विभाग द्वारा की जा रही छापेमारी, शराब व उपकरणों की बरामदगी तथा इस धंधे में संलिप्त कारोबारियों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है।
मोतीगंज थाना क्षेत्र की कहोबा चौकी इलाके में कच्ची शराब का गोरख धंधा एक बार फिर परवान चढ़ने लगा है। क्षेत्र का दनौवा गांव अवैध शराब के लिए कुख्यात रहा, जहां तत्कालीन चौकी प्रभारी एसएन राय ने ताबड़तोड़ छापेमारी कर धंधेबाजों के पांव उखाड़ दिए थे। उनके स्थानांतरण के बाद भी लम्बे समय तक खाकी की हनक बरकरार रही लेकिन रूपये के लालच में अब फिर अवैध शराब का धंधा फलने-फूलने लगा है।
मोतीगंज थाना क्षेत्र के बिरतिहा, मरिकबन सीहागांव, परसोहनी, पिपरा भिटौरा व पंडित पुरवा सहित कई गांवों में अवैध कच्ची शराब का कारोबार फल-फूल रहा है। वहीं कहोबा चौकी क्षेत्र के दनौवा, खखरइया, छाछपारा मतवल्ली (पाही), हड़हवा, नेवादा, इमिलिया नयी बस्ती आदि गांवों में कच्ची शराब का कारोबार फिर से पनपने लगा है। इन गांवों में शराब के धंधे से जुड़े लोगों द्वारा पालीथीन में कच्ची शराब भरकर पाउच के रूप में बेचा जा रहा है।
बताते हैं कि उक्त गांवों में छापेमारी भी की जाती रहती है लेकिन पुलिस के हाथ कारोबारी नहीं लगते हैं क्योंकि छापा मारने से पहले ही इसकी सूचना उन्हें मिल जाती है। बताते हैं कि अवैध कच्ची शराब के धंधे से जुड़े लोग नौशादर, गुड़, पानी व कुछ केमिकल मिलाकर कच्ची शराब तैयार करते हैं। कभी-कभी कच्ची शराब को और तेज बनाने के लिए ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन भी मिला दिया जाता है।
कुछ जगह तो महुआ व अन्य सामग्रियों से शराब तैयार की जाती हैैजो पीने वालों के लिए घातक साबित होती है लेकिन रूपये की लालच में शराब कारोबारी गरीबों की जिंदगी से खिलवाड़ करने से बाज नहीं आते हैं।
पुलिस के दावे पर उठ रहे सवाल
गांवों में अवैध कच्ची शराब के निर्माण और बिक्री को लेकर पुलिस छापेमारी, शराब, सामग्री व उपकरणों की बरामदगी के साथ ही धंधे में संलिप्त लोगों की गिरफ्तारी का दावा करती है। पुलिस यह भी दावा करती है कि कच्ची शराब नहीं बन रही है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि जब शराब बनाई नहीं जा रही है तो कहां से बरामद हो रही है? यदि इस धंधे पर पुलिस ने पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया है तो लोगों के खिलाफ आबकारी अधिनियम के तहत कार्रवाई क्यों कर रही है?
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