
गोंडा | दिव्यांश कसौंधन :
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत के “75 वर्ष की आयु पार कर चुके नेताओं को रिटायर हो जाना चाहिए” वाले बयान पर राजनीतिक हलकों में चर्चाएं तेज हो गई हैं। इसी संदर्भ में जब गोंडा दौरे पर आए उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य से पत्रकारों ने सवाल किया, तो उन्होंने बयान देने से परहेज करते हुए साफ कहा,
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“मैं स्वयं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का स्वयंसेवक हूं। परम पूज्य सरसंघचालक जी के किसी भी बयान पर टिप्पणी करने का न तो मुझे नैतिक अधिकार है और न ही स्वयंसेवक के नाते मैं इस पर कुछ कह सकता हूं।”
हालांकि उन्होंने यह भी जोड़ा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी की विजय यात्रा जारी है और 2027 में एक बार फिर पार्टी प्रचंड बहुमत से सरकार बनाएगी।
गोंडा पहुंचे मौर्य, राजा आनंद सिंह को दी श्रद्धांजलि

शनिवार को डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य एक दिवसीय दौरे पर गोंडा के मनकापुर पहुंचे, जहां उन्होंने उत्तर प्रदेश के पूर्व कृषि मंत्री और मनकापुर रियासत के दिवंगत राजा आनंद सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने केंद्रीय विदेश राज्यमंत्री कीर्तिवर्धन सिंह उर्फ राजा भैया के आवास पर जाकर शोक-संतप्त परिवार से मुलाकात कर संवेदना व्यक्त की।
इससे पहले वे खंड विकास अधिकारी कार्यालय सभागार पहुंचे, जहां उन्होंने पार्टी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं से संवाद किया और विभिन्न योजनाओं से जुड़े स्टॉलों का निरीक्षण भी किया।
सपा पर हमला, PDA को बताया ‘परिवार डेवलपमेंट एजेंसी’
पत्रकारों से बात करते हुए डिप्टी सीएम मौर्य ने समाजवादी पार्टी और विपक्ष पर भी तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा,

“2027 में बीजेपी एक बार फिर उत्तर प्रदेश में बहुमत की सरकार बनाएगी। सपा, बसपा और कांग्रेस—चाहे मिलकर लड़ें या अलग-अलग, हश्र वही होगा जो 2017 में हुआ था।”
उन्होंने समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव पर तंज कसते हुए कहा,
“उनका PDA कोई ‘प्रोग्रेसिव डेमोक्रेटिक अलायंस’ नहीं, बल्कि ‘परिवार डेवलपमेंट एजेंसी’ है, जिसके चेयरमैन खुद अखिलेश हैं और डायरेक्टर उनके परिवार के सदस्य हैं।”
मौर्य ने कहा कि 2022 में सपा ने अपने राजनीतिक चरम को छू लिया था, और अब उनके पास कोई भविष्य नहीं बचा है। उन्होंने सपा को “गुंडों, माफियाओं और अपराधियों का संरक्षक” भी करार दिया।
राजनीतिक विश्लेषण
मोहन भागवत का बयान ऐसे समय आया है जब बीजेपी आगामी चुनावों की तैयारी में जुटी है और पार्टी नेतृत्व को लेकर अंदरखाने कई चर्चाएं हैं। केशव मौर्य का बचावात्मक रुख, संगठनात्मक अनुशासन का संकेत देता है, लेकिन साथ ही यह भी दर्शाता है कि यह विषय राजनीतिक रूप से संवेदनशील है।