
लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा का मौजूदा सत्र आज एक अहम मोड़ पर पहुंचने वाला है। आज के एजेंडे में भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की कई महत्वपूर्ण रिपोर्टें सदन में पेश की जाएंगी। इन रिपोर्टों में खनन और अवैध खनन, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, केंद्रीय रोड फंड (CRF) के उपयोग, सरयू नहर परियोजना, निर्माण कर्मकारों के कल्याण और सरकारी विभागों के कामकाज पर विस्तृत लेखापरीक्षा शामिल है।
सत्र के दौरान वर्ष 2023-24 के लिए राज्य वित्त पर CAG का प्रतिवेदन भी रखा जाएगा। राजनीतिक हलकों में पहले से ही चर्चा है कि इनमें से कुछ रिपोर्टें खासतौर पर खनन और सरयू नहर परियोजना को लेकर बड़े खुलासे कर सकती हैं।
खनन और अवैध खनन पर रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश में खनन, खासकर अवैध खनन, लंबे समय से विवाद और जांच का विषय रहा है। CAG की रिपोर्ट में इस क्षेत्र में दिए गए लाइसेंस, रॉयल्टी वसूली, पर्यावरणीय नियमों के पालन और राजस्व हानि से जुड़े तथ्य सामने आने की उम्मीद है। यह रिपोर्ट यह भी बताएगी कि खनन से होने वाली आमदनी और उसके उपयोग में क्या विसंगतियां रही हैं।
सदन में मौजूद सूत्रों का कहना है कि रिपोर्ट में कई जिलों में अवैध खनन के मामलों का जिक्र है, जहां न केवल नियमों का उल्लंघन हुआ बल्कि राज्य के खजाने को भी नुकसान पहुंचा।
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सरयू नहर परियोजना पर संभावित खुलासे
सरयू नहर परियोजना, जो पूर्वी उत्तर प्रदेश की सिंचाई व्यवस्था को बेहतर बनाने के उद्देश्य से चलाई जा रही है, लंबे समय से देरी और लागत वृद्धि के कारण सुर्खियों में है। CAG की रिपोर्ट में परियोजना के क्रियान्वयन, लागत में हुई वृद्धि, ठेकेदारों को भुगतान और निर्माण की गुणवत्ता पर विस्तृत जानकारी मिलेगी।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस रिपोर्ट में आने वाले तथ्य सरकार और विपक्ष दोनों के लिए बहस का बड़ा मुद्दा बन सकते हैं।
ठोस अपशिष्ट प्रबंधन (Solid Waste Management) की हकीकत
शहरी इलाकों में सफाई व्यवस्था और कचरा निपटान को लेकर CAG की रिपोर्ट कई अहम पहलुओं को उजागर करेगी। इसमें नगर निकायों द्वारा बनाए गए प्लान, कचरा प्रोसेसिंग प्लांट्स की क्षमता, जमीन आवंटन, फंड का इस्तेमाल और सफाई कर्मचारियों की तैनाती जैसे बिंदु शामिल होंगे।
अगर रिपोर्ट में कमियों का जिक्र हुआ तो यह शहरी विकास विभाग के लिए असहज स्थिति पैदा कर सकता है।
केंद्रीय रोड फंड (CRF) के उपयोग पर ब्योरा
केंद्रीय रोड फंड का उद्देश्य सड़कों के निर्माण और मरम्मत के लिए राज्यों को वित्तीय सहायता देना है। CAG की रिपोर्ट में इस फंड के उपयोग, स्वीकृत और पूर्ण परियोजनाओं की संख्या, और समयसीमा में पूरा न होने वाले कामों पर विशेष ध्यान दिया गया है।
सूत्रों के मुताबिक, रिपोर्ट में यह भी सामने आ सकता है कि किन क्षेत्रों में फंड का उपयोग योजनानुसार नहीं हुआ या काम अधूरा छोड़ दिया गया।
निर्माण कर्मकार कल्याण योजनाओं की समीक्षा
राज्य सरकार निर्माण श्रमिकों के कल्याण के लिए कई योजनाएं चला रही है, जिनमें बीमा, स्वास्थ्य लाभ, शिक्षा सहायता और पेंशन योजनाएं शामिल हैं। CAG की रिपोर्ट यह बताएगी कि इन योजनाओं के लिए जो फंड आवंटित हुआ, वह वास्तव में मजदूरों तक पहुंचा या नहीं।
इसमें पंजीकृत मजदूरों की संख्या, पात्र लाभार्थियों को हुए भुगतान और आवेदन निपटान की गति जैसे आंकड़े भी शामिल होंगे।
सरकारी विभागों की अनुपालन और निष्पादन रिपोर्ट
सत्र में पेश होने वाली अनुपालन और निष्पादन रिपोर्ट विभिन्न सरकारी विभागों के कामकाज की समीक्षा करेगी। इसमें यह देखा जाएगा कि विभागों ने पहले की सिफारिशों पर कितना अमल किया और योजनाओं को कितनी कुशलता से लागू किया।
राजनीतिक हलचल की संभावना
CAG की इन रिपोर्टों के पेश होने के बाद सदन में राजनीतिक हलचल तेज हो सकती है। विपक्ष इन रिपोर्टों में आए आंकड़ों और टिप्पणियों का इस्तेमाल सरकार को घेरने के लिए कर सकता है। वहीं, सरकार के पास अपने पक्ष में दलील देने और सुधारात्मक कदमों का ब्योरा पेश करने का मौका होगा।
सत्र के अगले चरण में इन रिपोर्टों पर चर्चा होने की संभावना है, जहां विपक्ष और सत्तापक्ष दोनों ही अपने-अपने तर्क रखेंगे।
पारदर्शिता और जवाबदेही की कसौटी
CAG की रिपोर्टें सरकारी कार्यप्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही की कसौटी मानी जाती हैं। ये न केवल वित्तीय लेन-देन की जांच करती हैं, बल्कि योजनाओं के वास्तविक असर और जनता तक पहुंचने वाली सुविधाओं का भी मूल्यांकन करती हैं।
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि इन रिपोर्टों के निष्कर्ष न केवल विधानसभा में बहस का आधार बनेंगे, बल्कि आने वाले समय में नीति निर्धारण और प्रशासनिक सुधारों की दिशा भी तय कर सकते हैं।