शब-ए-बरात इबादतों की रात
बहराइच। शब-ए-बरात इबादतों की कबूलियत की रात है। इस रात सभी मुसलमान इबादत करें तथा अपने देश और पूरे विश्व में अमन-शांति की दुआ करें। इस खयालात का इज़हार मदरसा आमिना लिल्बनात मोहल्ला सालारगंज के संस्थापक एवं प्रबंधक मौलाना सिराज मदनी ने एक बयान के जरिए किया है।
मौलाना सिराज मदनी ने कहा कि शब-ए-बरात को अन्य रातों पर श्रेष्ठता प्राप्त है। अल्लाह पाक ने कुछ चीजों को दूसरी चीजों पर श्रेष्ठता का आशीर्वाद दिया है। जैसे मदीना को सभी शहरों पर श्रेष्ठता है, ज़मज़म का कुआँ सभी कुओं पर, मस्जिद अल-हरम सभी मस्जिदों पर और दूतों में हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) की विशेष श्रेष्ठता है।
शाबान की 15वीं रात की फज़ीलत हदीसों से साबित- मौलाना सिराज मदनी
इसी तरह कुछ दिनों को दूसरे दिनों पर श्रेष्ठता रखते हैं, जैसे कि शुक्रवार हफ्ते के सभी दिनों पर, रमज़ान का महीना सभी महीनों पर, कुबूलियत का समय सभी समय पर, लैलतुल क़द्र को सारी रातों पर और शब-ए-बरात को दूसरी रातों पर तरजीह दी गई है। शाबान की 15वीं रात की फज़ीलत हदीसों से साबित होती है, जिससे मुसलमानों में क़ुरान और सुन्नत को मानने और ज़्यादा से ज़्यादा इबादत करने की चाह पैदा हो जाती है।
इस रात, ईश्वर( अल्लाह) की दया से, बड़ी संख्या में लोग नरक की आग से बचाए जाते हैं। शब-ए-बरात पर हर नेक अमल का फैसला किया जाता है। इस रात की इबादत की फजी़लत हदीसों की किताबों में बयान किए गए हैं, जो कोई भी इस रात में 100 रकअत नमाज़ पढ़ता है, अल्लाह तआला उस पर 100 फ़रिश्ते भेजता है।
उनमें से तीस फ़रिश्ते उसे जन्नत की ख़ुशख़बरी देते हैं, तीस फ़रिश्ते उसे नर्क के अज़ाब से बचाते हैं, तीस फ़रिश्ते उसे दुनियावी मुसीबतों से बचाते हैं और दस फ़रिश्ते शैतान की चालों से उसकी हिफ़ाज़त करते हैं।
यह रात क्षमा और इबादत की रात
शब ए बरात में अल्लाह की रहमत उतरती है और अल्लाह तआला मुहम्मद की उम्मत पर उतनी ही रहमत करता है जितनी इस रात बनू क़ल्ब की बकरियों के बालों की संख्या होती है। यह रात क्षमा और पापों की क्षमा की रात है।
सिवाए इसके कि तान्त्रिक, पियक्कड़, माता-पिता की आज्ञा न मानने वाले सन्तान और ग़लत कामों पर डटे रहने वाले। इस रात में अल्लाह तआला ने हजरत मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) को पूरी सिफ़ारिश अता की।
इस रात में, सभी मुसलमानों को जितना हो सके पवित्र कुरान को पढ़ने में लगे रहना चाहिए। नवाफिल को बार-बार पढ़ना चाहिए, तौबा करना चाहिए और क्षमा मांगनी चाहिए और अपने लोगों को क्षमा करना चाहिए। बेकार के कामों से बचें, कब्रिस्तान जाएं और अपने देश भारत में शांति और सुरक्षा के लिए प्रार्थना करें।
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संपादक- A R Usmani ख़बर हिंदी
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