फर्जी अभिलेखों के आधार पर दूसरे की भूमि हड़पने में गोंडा आगे
गोण्डा, करनैलगंज। एक तरफ जहां जनपद में पैर पसार चुके भूमाफियों पर स्थानीय प्रशासन द्वारा ताबड़तोड़ कार्यवाही की जा रही है, वहीं दूसरी तरफ फर्जी अभिलेखों के आधार पर दूसरे की भूमि हड़पने वालों पर तहसीलदार करनैलगंज मेहरबान हैं।
मामला करनैलगंज तहसील की ग्राम पंचायत पहाड़ापुर से जुड़ा है, जहां फर्जी अभिलेखों के आधार पर करोड़ों रुपए की भूमि हड़पने का मामला प्रकाश में आया तो इसकी जांच शुरू हुई। आरोप है कि मामले की जांच कर रहे तहसीलदार करनैलगंज आरोपी को बचाने में जुटे हुए हैं।
हालांकि मामला जनहित से जुड़ा होने के नाते क्षेत्र के व्यक्ति ने लगभग चार माह पूर्व उपजिलाधिकारी को शिकायती पत्र देकर आरोप लगाया था कि ग्राम पंचायत पहाड़ापुर के निवासी ओम प्रकाश उर्फ शांति प्रकाश पुत्र राजा प्रसाद दूसरे के नाम दर्ज करोड़ों रुपयों की बेशकीमती जमीन को फर्जी अभिलेखों के आधार पर सरकारी अभिलेख में अपने नाम की अंकना करवाकर धड़ल्ले से जमीन की बिक्री कर रहे हैं।
मृत्यु घोषित कर फर्जी तरीके से बनवाया अभिलेख
ग्रामीणों से मिली जानकारी के अनुसार ग्राम पंचायत पहाड़ापुर के निवासी श्यामसुंदर नामक व्यक्ति की चार पुत्रियां थीं। श्यामसुंदर की मृत्यु के बाद उनकी सारी संपत्ति उनकी पुत्रियां सतरूपा देवी, चंद्रकांता देवी, माया देवी व भामा देवी के नाम पर दर्ज कागजात हो गई। श्यामसुंदर की चारों पुत्रियों की शादी विभिन्न जनपदों में हो गई। समय बीतता गया और शायमसुंदर की चारों पुत्रियां घर-गृहस्थी में व्यस्त हो गईं।
जानकारी के मुताबिक कुछ वर्ष पूर्व ही श्याम सुंदर की चारों पुत्रियों की मृत्यु हो गई, जिसकी भनक लगते ही गांव के ही ओमप्रकाश पुत्र राजा प्रसाद ने दिनांक 02.05.2015 को फर्जी अभिलेख तैयार कर तत्कालीन तहसीलदार महेंद्र मिश्रा से मिलीभगत करके उपरोक्त चारों पुत्रियों का फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाकर अपने नाम की वरासत करवा ली।
जिलाधिकारी से मिल लगाई न्याय की गुहार
विगत दो वर्ष पूर्व एक शिकायतकर्ता ने अपर जिलाधिकारी को साक्ष्य प्रस्तुत कर मामले की शिकायत की थी जिस पर अपर जिलाधिकारी ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच का आदेश दिया था। आरोपी द्वारा बेजा प्रभाव व राजनीतिक दबाव के चलते राजस्व विभाग ने मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया था।
सतरूपा देवी व अन्य के स्थान पर ओम प्रकाश पुत्र राजा प्रसाद के नाम की अंकना कायदा 24 पर कैसे हुई? यह अभी तक रहस्य बना हुआ है। मामले में तहसीलदार का ढुलमुल रवैया देखते हुए शिकायतकर्ता ने जिलाधिकारी से मामले की शिकायत की है।
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