पानी (Water) मानव शरीर के लिए एक आवश्यक तत्व है जो शारीरिक क्रियाओं, पाचन, तापमान नियंत्रण और विषाक्त पदार्थों के निष्कासन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हालाँकि, किसी भी चीज की अति हानिकारक हो सकती है, और पानी का अत्यधिक सेवन शरीर के लिए गंभीर जोखिम पैदा कर सकता है।
आमतौर पर, एक स्वस्थ व्यक्ति को प्रतिदिन 2-3 लीटर पानी पीने की सलाह दी जाती है, लेकिन इससे अधिक मात्रा में पानी पीने से शरीर में इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन, हाइपोनेट्रेमिया (सोडियम की कमी), किडनी पर दबाव, हृदय संबंधी समस्याएँ और मस्तिष्क में सूजन जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याएँ हो सकती हैं।
क्या होता है हाइपोनेट्रेमिया
सबसे गंभीर नुकसान हाइपोनेट्रेमिया है, जो तब होता है जब रक्त में सोडियम का स्तर बहुत कम हो जाता है। सोडियम शरीर में तरल पदार्थों के संतुलन को बनाए रखने में सहायता करता है, लेकिन अधिक पानी पीने से यह संतुलन खराब हो जाता है, जिससे कोशिकाएँ फूलने लगती हैं और मस्तिष्क में सूजन आ सकती है।
इसके लक्षणों में तीव्र सिरदर्द, मतली, उल्टी, मांसपेशियों में कमजोरी, भ्रम, दौरे और यहाँ तक कि कोमा या मृत्यु भी शामिल हैं। एथलीट्स और मैराथन धावकों में यह स्थिति अधिक देखी जाती है, क्योंकि वे अक्सर डिहाइड्रेशन के डर से बहुत अधिक पानी पी लेते हैं, जबकि उन्हें इलेक्ट्रोलाइट युक्त पेय का सेवन करना चाहिए।
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किडनी पर होता है पानी का प्रभाव
किडनी(Kidney) पर बहुत अधिक दबाव भी एक बड़ी समस्या है, क्योंकि किडनी को शरीर से अधिक पानी और विषाक्त पदार्थों को निकालना होता है। जब बहुत सारा पानी पी लिया जाता है, तो किडनी को लगातार अधिक क्वांटिटी का पेशाब बनाना पड़ता है, जिससे उन पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है और लंबे समय में किडनी की कार्यक्षमता प्रभावित हो सकती है। इसके अलावा, बार-बार पेशाब आने से शरीर से जरूरी मिनरल्स जैसे पोटैशियम, मैग्नीशियम और कैल्शियम भी निकल जाते हैं, जिससे मांसपेशियों में ऐंठन, थकान और कमजोरी हो सकती है।
खाने के तुरंत बाद पानी पीने के नुकसान
हृदय पर भी अतिरिक्त भार पड़ता है, क्योंकि अधिक पानी पीने से रक्त की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे हृदय को अधिक मेहनत करनी पड़ती है। यह उच्च रक्तचाप और हृदय रोगों का कारण बन सकता है, विशेषकर उन लोगों में जिन्हें पहले से ही हृदय संबंधी समस्याएँ हैं। पाचन तंत्र भी प्रभावित होता है, क्योंकि अधिक पानी पीने से पाचन रस पतला हो जाता है, जिससे भोजन का पाचन ठीक से नहीं हो पाता और अपच, गैस, एसिडिटी और पेट फूलने की समस्या हो सकती है। खाने के तुरंत बाद अधिक पानी पीने से पाचन प्रक्रिया धीमी हो जाती है, इसलिए भोजन के आधे घंटे बाद ही पानी पीना उचित होता है
मस्तिष्क पर भी पड़ सकता है असर
मस्तिष्क में फुलाव भी एक गंभीर खतरा है, क्योंकि अधिक पानी का सेवन करने से कोशिकाएँ फूलकर मस्तिष्क में प्रेशर बढ़ा देती हैं, जिसके फलस्वरूप सिरदर्द, चक्कर आना, उल्टी और यहाँ तक कि डायवोर्स भी हो सकता है। मानसिक स्वास्थ्य को भी असर होता है, क्योंकि हाइपोनेट्रेमिया से बेहोशी, चिड़चिड़ापन और ध्यान केंद्रित नहीं करने की समस्या जैसे लक्षण हो सकते हैं।
इसके अलावा, लीवर पर भी प्रेशर पड़ सकता है, खास तौर पर उन लोगों में जिन्हें पहले से ही लीवर रोग हों, क्योंकि यह शरीर से विषाक्त पदार्थों को बहार निकालने की प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है।
थकान और दुर्बलता भी अधिक पानी पीने का एक आम प्रतिकूल प्रभाव है, क्योंकि लगातार किडनी के काम करने से शरीर की कमजोरी हो जाती है और इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन के कारण मांसपेशियों में ऐंठन होती है। इसलिए, संतुलित मात्रा में पानी पीना आवश्यक है।
यदि कोई व्यक्ति ज्यादा व्यायाम करता है या गर्मियों में रहता है, तो उसे नारियल पानी, ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन (ORS) या इलेक्ट्रोलाइट युक्त ड्रिंक्स का सेवन करना चाहिए ताकि शरीर में नमक और मिनरल्स का प्राकृतिक प्रबल विपरीत नहीं हो जाए।