गोण्डा। ‘जब हौंसला बना लिया ऊंची उड़ान का, फिर देखना फिजूल है क़द आसमान का!’ किसी शायर की ये पंक्तियां गोस्वामी तुलसीदास की जन्मभूमि से कुछ ही दूर सरयू तट पर स्थित राजकीय हाईस्कूल रामपुर टेपरा के दो शिक्षकों पर सटीक बैठती हैं, जिनके संकल्प ने जीर्ण-शीर्ण अवस्था में पहुंच चुके स्कूल का ना सिर्फ कायाकल्प कर दिया बल्कि शिक्षा की जो मशाल जलाई उससे छात्रों का जीवन संवर रहा है और वे भी विद्यालय परिसर में ऊंची उड़ान भर रहे हैं।

राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान द्वारा संचालित राजकीय हाईस्कूल रामपुर टेपरा जनपद मुख्यालय से लगभग 40 किलोमीटर दूर करनैलगंज तहसील के पिछड़े क्षेत्र के ग्रामीण अंचल में है। इस विद्यालय की स्थापना 2012 में की गई थी। देख-रेख व मरम्मत के अभाव में विद्यालय की दशा काफी खराब हो गयी थी। विद्यालय की सबसे बड़ी समस्या पर्याप्त शिक्षकों का ना होना था। केवल एक शिक्षक के सहारे शिक्षण व्यवस्था संचालित हो रही थी। पिछले वर्ष जब विद्यालय में दो और शिक्षकों की नियुक्ति हुई, तब शिक्षण कार्यों का सुचारु रूप से संचालन शुरू हुआ। सामाजिक विज्ञान विषय के शिक्षक समर प्रताप सिंह एवं संस्कृत शिक्षक श्रीकांत वर्मा ने विद्यालय की बदहाल व्यवस्था को सुधारने का संकल्प लिया, जिसके उपरांत इस विद्यालय में काफी परिवर्तन हुआ।

शिक्षक समर प्रताप सिंह ने पत्राचार के माध्यम से ग्राम सभा से लेकर जिले के अधिकारियों तक को यहां की समस्याओं से अवगत करवाया जिसका परिणाम यह हुआ कि विद्यालय में विद्युत आपूर्ति शुरू हुई एवं बाउंड्री वॉल का निर्माण प्रारंभ हुआ। विद्यालय निर्माण के उपरांत कोई सुरक्षात्मक व्यवस्था न होने के कारण भवन काफी क्षतिग्रस्त एवं अव्यवस्थित हो चुका था। दरवाजे व खिड़कियां तो टूटी-फूटी अवस्था में थीं ही, शौचालय एवं पेयजल की व्यवस्था भी बेहद खराब थी। इन सब अव्यवस्थाओं के कारण शिक्षा का कार्य प्रभावित हो रहा था। लेकिन कहते हैं ना कि अगर मन में सच्ची लगन हो तो कोई भी कार्य मुश्किल नहीं होता है। इस बात को सच साबित कर दिखाया ग्राम मिझौरा परसपुर निवासी शिक्षक समर प्रताप सिंह ने।

उन्होंने अपने व्यक्तिगत प्रयासों से सुधार का एक दौर शुरू किया और कर्नलगंज के बीडीओ से मिलकर बाउंड्री वाल एवं सड़क के लिए प्रार्थना पत्र दिया जिसका कार्य वर्तमान में प्रगति पर है। विद्यालय में आधारभूत सुविधाओं का भी अभाव था जिसके क्रम में सर्वप्रथम शौचालय की मरम्मत एवं उसमें पानी सप्लाई की व्यवस्था करवाई गयी। दरवाजों व खिड़कियों की मरम्मत कराकर शिक्षण कक्षाओं को व्यवस्थित किया गया। विद्यालय प्रयोगशाला में टाइल्स लगवाकर उसे व्यवस्थित रूप प्रदान किया गया। क्लास रूम में एलसीडी टीवी लगवा कर स्मार्ट क्लास की व्यवस्था विद्यालय में की गई। पिछले 10 वर्षों से स्कूल की रंगाई-पुताई न होने के कारण दीवारों की स्थिति काफी बिगड़ गई थी जिसमें प्लास्टर कराकर रंग-रोगन का कार्य किया गया.

जिससे विद्यालय एक आदर्श स्वरूप प्राप्त कर सका। इसके साथ ही पुस्कालय, खेल गतिविधियों तथा कैरियर गाइडेंस के माध्यम से एक बेहतर वातावरण वहां के विद्यार्थियों को प्रदान किया गया, जिसके कारण छात्रों की संख्या में काफी सुधार हुआ और ग्रामीण परिवेश के गरीब छात्र इस व्यवस्था से लाभान्वित हुए। विद्यालय के प्रधानाचार्य अरविंद श्रीवास्तव ने अपने दोनों शिक्षकों के इस भगीरथ प्रयास की भूरि-भूरि सराहना की। सरकार द्वारा चलाये जा रहे मिशन कायाकल्प का विस्तार इस राजकीय विद्यालय में स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है जो अन्य स्कूलों के लिए निश्चित रूप से प्रेरणा का कार्य करेगा।
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