● लापरवाही पर अदालत सख्त, एसओ कोर्ट में तलब
● एसपी गोण्डा को व्यक्तिगत जांच के आदेश, अभियुक्तों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी
गोण्डा। जालसाजी के एक मामले में तरबगंज पुलिस द्वारा नौ साल बाद भी विवेचना पूरी न कर पाने को लेकर अदालत ने सख्त रुख अपनाया है। अदालत ने एसओ को कोर्ट में तलब करते हुए पुलिस अधीक्षक को व्यक्तिगत जांच का आदेश दिया है।
अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम विश्वजीत सिंह ने अभियुक्तों के विरुद्ध गैर जमानती वारंट जारी करते हुए थानाध्यक्ष तरबगंज को अदालत में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर तीन दिन के अंदर आख्या पेश करने का आदेश दिया है।
साथ ही एसपी गोण्डा को पूरे मामले की व्यक्तिगत जांच का भी आदेश दिया है। वादी मुकदमा के अधिवक्ता धनलाल तिवारी ने बताया कि सन 2011 में अभियुक्त अजीत त्रिपाठी व अन्य के विरुद्ध तरबगंज थाने में मुकदमा अपराध संख्या 179/2011 धारा 419, 420, 467, 468, 471 आईपीसी के अंतर्गत मुकदमा दर्ज कराया गया था।
मामले में पुलिस द्वारा 2012 में न्यायालय के समक्ष आरोप पत्र प्रस्तुत किया गया था। अभियुक्तगणों ने आरोप पत्र निरस्त करने की याचिका उच्च न्यायालय में दाखिल की थी, जिसे उच्च न्यायालय द्वारा खारिज कर दिया गया।
सन 2013 में एसपी के आदेश पर तरबगंज पुलिस द्वारा अग्रिम विवेचना शुरू की गई। अधिवक्ता धनलाल तिवारी ने बताया कि 9 साल का वक्त बीत जाने के बाद भी तरबगंज पुलिस विवेचना पूरी नहीं कर पायी।
मामले का संज्ञान लेते हुए अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम विश्वजीत सिंह ने अभियुक्तों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी करते हुए थानाध्यक्ष तरबगंज को अदालत में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर तीन दिन के अंदर आख्या पेश करने का आदेश दिया है। सके साथ ही एसपी गोण्डा को पूरे मामले की व्यक्तिगत जांच का भी आदेश दिया है
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