नई दिल्ली: बिलकिस बानों के गुनाहगारों की रिहाई के खिलाफ जनहित याचिकाओं पर सुनवाई नहीं करने की दोषियों की मांग सुप्रीम कोर्ट ने ठुकरा दी है. कोर्ट ने कहा कि वो बिलकिस की याचिका को मुख्य याचिका मानकर सभी पांच याचिकाओं पर सुनवाई करेगा. ये सुनवाई मेरिट पर होगी.
दरअसल दोषियों के वकीलों ने कहा था कि सुभाषिनी अली और महुआ मोइत्रा समेत पांचों याचिकाएं सुनवाई योग्य नहीं हैं. ये तीसरे पक्ष की याचिकाएं हैं और उनका केस में कोई लोकस नहीं है. लेकिन जस्टिस अजय रस्तोगी ने कहा कि खुद पीड़िता बिलकिस भी यहां आई हैं. हम बिलकिस की याचिका तो लीड बनाकर इन याचिकाओं पर सुनवाई करेंगे. एक बार जब पीड़िता यहां आ गई है तो लोकस का मुद्दा खत्म हो जाता है.
2002 के गुजरात दंगा मामले में बिलकिस बानो के 11 दोषियों को दी गई उम्रकैद की सजा में समय से पहले रिहाई को चुनौती देने वाली जनहित याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट फरवरी के मध्य में सुनवाई करेगा. बिलकीस बानो की याचिका के साथ ही इसकी सुनवाई होगी.
जस्टिस अजय रस्तोगी ने कहा कि याचिकाकर्ता के वकील फाइनल हियरिंग के लिए तैयार होकर आएं. कानूनी मुद्दे और बिंदुओं पर ही बहस करें. याचिकाकर्ता की वकील वृंदा ग्रोवर ने कहा कि कानून और न्याय हमारे साथ है, लेकिन बरी किए गए सजायाफ्ता लोगों के वकील ने कहा कि मुख्य याचिकाकर्ता की कोई कानूनी भूमिका यानी लोकस नहीं है.
गौरतलब है कि 13 दिसंबर को जस्टिस बेला एम त्रिवेदी ने बिलकिस बानो की याचिका पर भी सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था. उनके इस मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लेने के बाद से याचिका पर सुनवाई नहीं हुई है.
सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस की वकील शोभा गुप्ता को कहा है कि वो एक अर्जी लगाकर रजिस्ट्री से अपने केस को लिस्ट कराएं. गुजरात सरकार हलफनामा दाखिल कर रिहाई को कानून के मुताबिक बता चुकी है.
( आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं )